यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय | यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय प्रश्न उत्तरयूरोप में राष्ट्रवाद का उदय | यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय प्रश्न उत्तर

यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय – उन्नीसवीं सदी के दौरान राष्ट्रवाद एक ऐसी ताकत बनकर उभरा,

जिसने यूरोप के राजनितिक और मानसिक जगत में भारी परिवर्तन ला दिये ।

इन परिवर्तनों से अंततः यूरोप के बहु-राष्ट्रीय वंशीय साम्राज्यो के आधार पर राष्ट्र राज्य का उदय हुआ।

यूरोप में लंबे समय से एक ऐसे आधुनिक राज्य की गतिविधियाँ और विचार विकसित हो रहे थे

जिसमे स्पष्ट रूप से परिभाषित क्षेत्र पर प्रभुसत्ता एक केद्रिय शक्ति की थी।

लेकिन राष्ट्र – राज्य में न केवल उसके शासको बल्कि उसके अधिकांश नागरिकों में एक साझा पहचान का भाव और साझा इतिहास या विरासत की भावना थी।

यह अध्याय उन विविध प्रक्रियाओं पर प्रकाश डालेगा जिनके तहत उन्नीसवीं सदी के यूरोप में राष्ट्र राज्य और राष्ट्रवाद अस्तित्व में आए ।

प्रश्न – राष्ट्र क्या है ?

उत्तर फ्रांसिसी दार्शनिक अर्न्स्ट रेनन के अनुसार एक राष्ट्र लंबे समय प्रयासों, त्याग और निष्ठा का चरम बिन्दु होता है।

शौर्य वीरता से युक्त अतीत, महान पुरुषों के नाम और गौरव है,
यह एक सामाजिक पूंजी है जिस पर एक राष्ट्रीय विचार आधारित किया जाता है।

अतीत में समान गौरव का होना, वर्तमान मे एक समान इच्छा संकल्प का होना साथ मिल कर महान काम करना और आगे ऐसे काम और करने की इच्छा एक जनसमूह होने की यह सब जरुरी शर्ते है ।

अतः राष्ट्र एक बड़ी और व्यापक एकता है। उसका अस्तित्व रोज होने वाले जनमत संग्रह है। प्रांत उसके निवासी है।

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यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय प्रश्न उत्तर :

प्रश्न – फ्रांसिसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने क्या कदम उठाए ?

उत्तर – फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने ऐसे अनेक कदम उठाए जिनसे लोगो में एक सामूहिक पहचान की भावना पैदा हो सकती थी।

जैसे- पितृभूमि (la patric) और नागरिक (le citoyen) जैसे विचारों ने एक संयुक्त समुदाय के विचार पर बल दिया,

जिसे एक संविधान के अन्तर्गत समान अधिकार प्राप्त थे

अन्य – एक फ्रांसीसी झण्डा चुनना, एक केंद्रीय व्यवस्था लागू करने आंतरिक आयात-निर्यात शुल्क समाप्त करना आदि।

प्रश्न – मारीआन और जर्मेनिया कौन थे ? जिस तरह उन्हें चित्रित किया गया उसका क्या महत्व था ?

उत्तर – अठारहवी और उन्नीसवी से कलाकारों ने राष्ट्र का मानवीकरण किया ,

उन्होंने देश को कुछ यूँ चित्रित किया जैसे वह कोई व्यक्ति हो ।

इसी प्रकार फ्रांस मे एक नारी रूप लोकप्रिय ईसाई नाम “मारीआन” दिया गया,

जिसने जन-राष्ट्र के विचार को रेखांकित किया।
उसके चिन्ह भी स्वतन्त्रता व गणतन्त्र के थे – लाल टोपी, तिरंगा, कलगी।

जर्मेनिया – जर्मेनिया जर्मन राष्ट्र का रूपक बन गई। चाक्षुष अभिव्यक्तियों में जर्मेनिया बलत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहनी है क्योकि जर्मन बलूत वीरता का प्रतीक है।

यूरोप में राष्ट्रवाद :

प्रश्न – जर्मन एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षेप में पता लगाए ।

उत्तर – राष्ट्रवादी भावनाएं जर्मन मध्यवर्गीय लोगों में काफी व्याप्त थी

उन्होंने 1848 मे जर्मन महासंघ के विभिन्न इलाको को जोड़ कर एक निर्वाचित संसद द्वारा शासित राष्ट्र राज्य बनाने का प्रयास किया था।

उनका प्रशा के भूस्वामियों ने भी समर्थन किया।

उसके पश्चात प्रशा ने राष्ट्रीय एकीकरण के आंदोलन का नेतृत्व संभाल लिया,

उसका प्रमुख मंत्री ऑटो वॉन बिस्मकि इस प्रक्रिया का जनक था।

सात वर्ष के दौरान ऑस्ट्रिया, डेन्मार्क, फ्रास से तीनों युद्धों में प्रशा को जीत मिली और एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई।

जनवरी मे प्रशा के राजा विलियम प्रथम को जर्मनी का 1871 सम्राट घोषित किया गया।

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यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय प्रश्न उत्तर :

प्रश्न – अपने शासन वाले क्षेत्रों में बदलाव शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने क्या बदलाव किए ?

उत्तर – नेपेलियन ने 1804 की नागरिक सहिंता बनाई, नेपोलियन ने जन्म पर आधारित विशेषाधिकार समाप्त कर दिए थे।

उसने कानून के समक्ष बराबरी और संपत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया।

डच, स्विटजरलैण्ड, इटली, जर्मनी में नेपोलियन ने प्रशासनिक विभाजनों को सरल बनाया,

सामंती व्यवस्था को खत्म किया। किसानों को भू-दासत्व और जागीरदारी शुल्कों से मुक्ति दिलाई।

यातायात और संचार व्यवस्थाओं को सुधारा गया।

प्रश्न – उदारवादियों ने 1848 की क्रांति का क्या अर्थ लगाया जाता है ,

उदारवादियों ने किन राजनीतिक , सामाजिक , आर्थिक , विचारों को बढ़ावा दिया ?

उत्तर – मध्य वर्ग के लिए उदारवाद का मतलब था व्यक्ति के लिए आजादी और कानून के समक्ष समानता ।

राजनीतिक रूप से उदारवाद एक ऐसी सरकार पर जोर देता था जो सहमति से बनी हो उदारवाद निरंकुश शासक और पादरी वर्ग के विशेष अधिकारों की समाप्ति संविधान तथा संसदीय प्रतिनिधि सरकार का पक्षधर था।

आर्थिक क्षेत्र में उदारवाद बाजारों की मुक्ति और चीजों तथा पूंजी के आवागमन पर राज्य द्वारा लगाए गए नियंत्रण को खत्म करने के पक्ष में था ।

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यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय –

प्रश्न – किन्हीं दो देशों पर ध्यान केंद्रीत करते हुए बताये कि उन्नीसवी सदी में राष्ट्र किस प्रकार विकसित हुए।

उत्तर – 1. ब्रिटेन – अठारहवी के पहले बितानी राष्ट्र था ही नहीं , बितानी द्वीप समूह में रहने वाले लोगों – अंग्रेज, वेल्श, स्कार्ट या आयरिश की मुख्य पहचान नृजतीय थी।

इन सभी जातीय समूहों की अपनी सांस्कृति और राजनितिक परंपराएं थीं।

आग्ल राष्ट्र की धन दौलत अहमियत बढी वह द्वीपसमूह के अन्य राष्ट्रों पर अपना प्रभुत्व बढ़ने में सफल हुआ।
एक लम्बे संघर्ष के बाद अंग्रेजी संसद ने 1688 में राजतंत्र से ताकत छीन ली थी।

इस संसद के माध्यम से एक राष्ट्र राज्य का निर्माण केन्द्र में इंग्लैण्ड था,

जिसके इंग्लैण्ड और स्कॉटलैण्ड के बीच ऐक्ट ऑफ यूनियन (1709) से ‘यूनाइटेड किंग्डम आफ ग्रेट ब्रिटेन का गठन हुआ।

स्कोटलण्ड को इसमें बहुत सारे समझौते करने पड़े।
1801 मे बल पूर्वक आयरलैंड को भी यूनाइटेड किंग्डम में शामिल कर लिया गया।

इस तरह एक नए राष्ट्र (ब्रितानी) का निर्माण हुआ था।

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यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय –

2 . इटली – 19 वी बादी के मध्य में इटली सात राज्यों में बंटा हुआ था।

जिनमें से केवल एक-सार्डिनिया पीडमॉण्ट में एक इतालवी राजघराने का शासन था।

उत्तरी भाग ऑस्ट्रियाई हैसबर्गों के अधीन था, मध्य इलाको पर पोप का शासन था

और दक्षिणी क्षेत्र स्पेन के बूर्बो राजाओं के अधीन थे। इतालवी भाषा ने भी साझा रूप हासिल नहीं किया था।

और अभी तक उसके विविध क्षेत्रीय और स्थानीय रूप मौजूद थे।

1831 और 1848 मे क्रांतिकारी विद्रोहों की असफलता से युद्ध के जरिये इतालवी राज्यों को जोड़ने की जिम्मेदारी सार्डिनिया – पीडमाण्ट के शासक विस्टर इमेनुएल द्वितीय पर आ गई।

अमीर वंग की नजरों में एकीकृत इटली आर्थिक, राजनितिक विकास की संभावनाएं उत्पन्न करता था।

फ्रांस से सार्डिनिया – पीडमाण्ट की एक चतुर कुटनितिक संधि से सार्डिनिया ने अस्ट्रियाई बलो को हरा दिया।

1860 मे वे दक्षिणी इटली और दो सिसिलियों के राज्य मे प्रवेश कर गए

और स्पेनी शासको को हटाने के लिए स्थानीय किसानों का समर्थन भी प्राप्त किया।

इस तरह इटली का एकीकरण हुआ और वह एक राष्ट्र बना।

गांधी जी के तीन प्रमुख आंदोलन। असहयोग आंदोलन । सविनय अवज्ञा आंदोलन। भारत छोड़ो आंदोलन।

यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय प्रश्न उत्तर :

प्रश्न – ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में किस प्रकार भिन्न था।

उत्तर – जर्मन, इटली, फ्रांस आदि की तुलना में ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास भिन्न रहा है

शेष यूरोप में क्रांति और टकराव अचानक उथल पुथल देखा गया

जबकि ब्रिटेन में अंग्रेज लोगो ने घन-संपदा विकास के बाद धीरे धीरे ब्रिटेन का निर्माण किया,

पहले स्काटलैण्ड पर अंग्रेजी संसद ने दवाब बानाकर इसे साथ लिया फिर बल पूर्वक आयलैण्ड को भी मिला लिया,

लेकिन यह प्रक्रिया बहुत लम्बी चली इसमे जान-माल का कम से कम नुकसान हुआ।

अंग्रेजी संसद को इन्हें साथ मिलाने के लिए किसी बाहरी राष्ट्र सं युद्ध नहीं लड़ना पड़ा।

प्रश्न – बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव क्यों पनपा ?

उत्तर – 1871 के बाद यूरोप में गंभीर राष्ट्रवादी तनाव का स्त्रोत बाल्कन क्षेत्र था इस क्षेत्र मे भौगोलिक और जातीय भिन्नता थी।

इस क्षेत्र के लोगों को आमतौर पर स्लाव पुकारा जाता था बाल्कन क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा ऑटोमन साम्राज्य के नियंत्रण में था,

बाल्कन क्षेत्र में रूमानी राष्ट्रवाद के विचारों के फैलने और ऑटोमन साम्राज्य के विघटन से स्थिति काफी विस्फोटक हो गई।

जैसे- जैसे विभिन्न स्लाव राष्ट्रीय समूहों ने अपनी पहचान और स्वतंत्रता की परिभाषा तय करने की कोशिश की,

बाल्कन क्षेत्र गहरे टकराव का क्षेत्र बन गया।

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यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय प्रश्न उत्तर :

निम्नलिखित पर टिप्पी कीजिए।

(क) जयुसेपे मेत्सिनी –

जेयुसपे मेत्सिनी का जन्म 1807 में जेनोआ में हुआ था और वह कार्बोनारी के गुप्त संगठन का सदस्य बन गया,

24 साल की युवा अवस्था मे लिगुरिया में क्रांति करने के लिए उसे बहिष्कृत कर दिया गया।

तत्पश्चात इसने दो और भूमिगत संगठनों की स्थापना की।

पहला था- मोसाई मे यंग इटली और दूसरा बर्न मे यंग यूरोप, यंग यूरोप इसके सदस्य पोलैंड, फ्रास, इटली, और जर्मन राज्यों में समान विचार रखने वाले युवा थे ।

मेन्सिनी का विश्वास था कि ईश्वर की मर्जी के अनुसार राष्ट्र ही मनुष्यों की प्राकृतिक इकाई थी।

अतः इटली छोटे राज्यों और प्रदेशी के पैवेदों की तरह नहीं रह सकता था।

उसे जोड़कर राष्ट्रों के व्याक गठबंधन के अंदर एकीकृत गणतंत्र बनाना ही था। यह एकीकरण ही इटली की मुक्ति का आधार हो सकता था।

उसके इस माडल की देखा-देखी जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलैण्डऔर पॉलैंड मे गुप्त संगठन कायम किए गए।

मेत्सिनी द्वारा राजतंत्र का घोर विरोध करके और प्रजातांत्रिक गणतंत्रों के अपने स्वप्न से मेत्सिनी ने रुढीवादियो को हरा दिया।

मैटरनिरव ने उसे हमारी सामाजिक व्यवस्था का सबसे खतरनाक दुश्मन’ बताया था।

(ख) फ्रैंकफर्ट संसद – गणतंत्र जर्मन की मांग करते हुए जब बड़ी संख्या में लोग फ्रैंकफर्ट शहर में मिल कर एक सर्व- जर्मन नेशनल एसेंबली के पक्ष में मतदान का निर्णय लिया

18 मई 1848 को 831 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने एक सजे धजे जूलूस में जाकर फ्रैंकफर्ट संसद में अपना स्थान ग्रहण किया

यह संसद सेंट पाल चर्च में आयोजित हुई ।

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