हड़प्पा सभ्यता क्या है :
हड़प्पा सभ्यता क्या है – विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है तथा यह मेसोपोटामिया की सभ्यता के समकालीन है
इस सभ्यता को सिंधु घाटी नदी के आसपास होने के कारण सिंधु घाटी की सभ्यता या हड़प्पा संस्कृति भी कहा जाता है।
HARAPPA (हड़प्पा) सभ्यता को कांस्य युग भी कहा जाता है क्योंकि हड़प्पा सभ्यता के समय कांस्य (तांबा) धातु का प्रयोग स्वार्धिक किया गया था।
हड़प्पा सभ्यता का काल :
हड़प्पा सभ्यता के काल का निर्धारण लगभग 2600 ईसा पूर्व से लेकर 1900 ईसा पूर्व के बीच किया गया है,
इस सभ्यता से पहले और बाद में भी संस्कृतियों की सत्ता थी जिन्हें आरंभिक और परवर्ती हड़प्पा काल कहा जाता है।
हड़प्पा सभ्यता की खोज किसने की :
सन् 1853 में एक महान उत्खनन कर्ता और ब्रिटिश इंजीनियर “ए कनिंघम” ने हड़प्पा की मुहरों (सिक्के) के अध्ययन से हड़प्पा सभ्यता की खोज की , इन मुहरों पर कनिंघम ने 1875 में एक रिपोर्ट भी तैयार की थी।
ए कनिंघम भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण के पहले डायरेक्टर जनरल बने और इन्हें भारतीय पुरातत्व का जनक भी कहा जाता है।
हड़प्पा सभ्यता के स्थलों की खोज 1921 में की गई थी जो भारतीय पुरातत्वविद “दयाराम साहनी” की खुदाई से शुरू हुई थी,
उसी समय एक इतिहासकार आर डी बनर्जी ने सिंध में मोहनजोदड़ो स्थल की खुदाई की थी।
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हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थल कौन से है :
हड़प्पा सभ्यता का विस्तार भारत पाकिस्तान और अफगानिस्तान तक है।
पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में अभी तक लगभग 2800 हड़प्पा स्थलों की पहचान की गई है।
हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थल :
हड़प्पा – हड़प्पा पर दुर्ग क्षेत्र मिला जो सुरक्षा प्राचीर से गिरा हुआ था
यहां की मुहरों में स्वार्धिक एक शृंगी पशु अंकित है, यहां से कांस्य दर्पण, सुरमा लगाने की सिलाई,
सीपी की चम्मच प्राप्त हुई, यह शहर वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित है।
मोहनजोदड़ो – मोहनजोदड़ो का अर्थ “मृतकों का टीला” होता है
यह शहर भी पाकिस्तान के सिंध में स्थित है यहां से सभागार, स्नानगर, तांबे की नर्तकी, पुरोहित आवास,
सीपी के बनी पटरी, सेल खड़ी से बना पुरोहित का धड़, कुछ मुद्रा प्राप्त हुई है।
कालीबंगन – उत्तरी राजस्थान में स्थित है कालीबंगन का अर्थ “काले रंग की चूड़ी” से है,
यहां ईंटों से निर्मित चबूतरा तथा घरों में अपने-अपने कुए के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं.
यहां अलंकृत ईट का प्रयोग एवं अन्य चिकित्सा के साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं यह बच्चे की एक खोपड़ी मिली जिसमें 6 छेद है।
हड़प्पा सभ्यता क्या है
चन्हूदरो – यह शहर गुजरात में स्थित है यह हड़प्पा सभ्यता में शिल्प उत्पादन के लिए स्वार्धिक प्रसिद्ध स्थल था
यहां पर झांगर और झुकर संस्कृति के अवशेष मिले हैं,
इससे जल कपाली या मस्तिक शोध की बीमारी का पता चला है, यहां से जला हुआ एक कपाल,
चार पहियों वाली गाड़ी, एक मिट्टी की मुद्रा, ईंटो पर कुत्ते और बिल्ली के पंजे, मिट्टी के मोर की आकृति मिली है, यह एकमात्र पुरास्थल है जहां से व्रकाकार ईट मिली है।
लोथल – यह एक बंदरगाह नगर था यह भी गुजरात में स्थित है
यहां से फार्स की मुहर, धान एवं बाजरा, पक्के रंगों से रंगा पात्र , घोड़े की लघु मरण मूर्ति तथा तीन युगल समाधियों के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं
यहां से तांबे तथा सोने का काम करने वाले शिल्पियों की उद्योगशालाए भी प्रकाश में आई है,
सीप और तांबे की चूड़ियां और पूरी तरह रंगा हुआ एक मिट्टी का जार भी मिला है।
बनावली – यह हरियाणा के हिसार जिले में स्थित है, यहां पर खेती के निशान, तांबे का वनाग्र, पक्की मिट्टी के बने हल की आकृति का खिलौना, तांबे की कुल्हाड़ी आदि की प्राप्ति हुई है।
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हड़प्पा सभ्यता की विशेषताएं :
हड़प्पा सभ्यता का विश्व में विशेष स्थान रहा है सभ्यता की विशेषता इन बातों में झलकती है कि जो तकनीक और जीवन शैली हड़प्पा के काल में भी थी, वह आज भी प्रचलित है।
HARAPPA (हड़प्पा) सभ्यता का सबसे विशेष था उसका नगरों को बसाने का तरीका, भवन निर्माण प्रणाली तकनीक आदि।
हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं निम्न है :
सुव्यवस्थित और उन्नत नगर योजना – नियोजित नगर हड़प्पा सभ्यता की प्रमुख विशेषता थी
जिसके आधार पर शहरी केंद्र विकसित किए गए थे,
हड़प्पा सभ्यता एक शहरीकरण की सभ्यता थी इसमें मोहनजोदड़ो प्रमुख शहर था।
हड़प्पा का सम्पूर्ण नगर नियोजन दो भागों में विभाजित था –
दुर्ग निचले नगर की अपेक्षा ऊंचे स्थान पर स्थित था दुर्ग की ऊंचाई का कारण था कि भवनों को उचित चबूतरे पर बनाया गया था।
निचले शहरों की भी किलेबंदी की गई थी और इन शहरों को दीवारों से घेरा गया था
धोलावीरा और लोथल जैसे स्थलों पर पूरी बस्ती के लिए किलेबंदी थी अतः इस प्रकार की नगर योजना वर्तमान में भी प्रचलित है।
भवन निर्माण प्रणाली – भवन को बनाते एकात्मकता को महत्व दिया गया था,
घर के मध्य में आगन था जिसके चारों ओर कमरे थे, भूमि के नीचे बने कमरों में खिड़कियां नहीं थी,
प्रत्येक घर में ईंटो का स्नानघर था, घरों में कुआं का निर्माण भी होता था, मोहनजोदड़ो में कुओं की कुल संख्या 400 थी।
जल निकासी व्यवस्था – हड़प्पा सभ्यता के नगरों की उल्लेखनीय विशेषता जल निकासी प्रणाली थी,
घरों से निकलने वाले अशुद्ध जल की निकासी के लिए गलियों में विशालकाय नालिया बनी थी,
जो गलियों के समान ही ग्रिड प्रणाली द्वारा एक-दूसरे से जुड़ी हुई थी तथा एक दूसरे को समकोण पर काटती थी।
हड़प्पा सभ्यता क्या है
कृषि प्रौद्योगिकी – मुहरों और मूर्तियों के आधार पर स्पष्ट है की हड़प्पा सभ्यता में खेत जोतने के लिए बैलों का प्रयोग किया जाता था।
कालीबंगन में जूते हुए खेत मिले, हल रेखाएं एक दूसरे को समकोण पर काटती थी जिससे हड़प्पा में दो फसलों उगाने के भी संकेत मिलते है।
मुहर व मुद्रांक प्रणाली – मुहरें हड़प्पा सभ्यता की विशेष पुरावस्तु है,
इनका प्रयोग दूर के क्षेत्रों को मॉल भेजने में सुरक्षा सील की भांति किया जाता था।
माप तौल प्रणाली – हड़प्पा की अपनी विकसित माप तोल प्रणाली थी, माप तौल के लिए बांटो का प्रयोग किया जाता था।
बांट चार्ट नामक पत्थर द्वारा बनाए जाते थे, इनमे से प्रत्येक बांट को अलग अलग वस्तुओ के लिए प्रयोग किया जाता था
जिनकी सर्वोच्च सीमा 12.8 kg थी।
धार्मिक दृष्टिकोण – धार्मिक दृष्टिकोण के आधार पर मूर्ति पूजा का आरंभ हड़प्पा सभ्यता से ही होता है
हड़प्पा सभ्यता से स्वास्तिक चक्र और क्रॉस के साक्ष्य मिलते हैं स्वास्तिक चक्र सूर्य पूजा के प्रतीक थे।
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हड़प्पा सभ्यता का पतन कब हुआ :
हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त साक्ष्यों के अनुसार 1800 ईसा पूर्व तक चौलिस्तान जैसे क्षेत्रों में हड़प्पा स्थलों का पतन हो गया था,
जबकि गुजरात, हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश की और नई आबाद हुई बस्तियों में जनसंख्या बढ़ने लगी थी।
1900 ईसा पूर्व के पश्चात अस्तित्व में रहे उत्तरकालीन हड़प्पा के कुछ चुने हुए केंद्रो से पतनशील चिन्ह स्पष्ट है।
हड़प्पा सभ्यता पतन के कारण :
हड़प्पा सभ्यता के पतन के अनेक कारण पुरातत्विदो होने दिए हैं जो निम्न प्रकार है
1 . अनेक विद्वान मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन, वनों का विनाश, विनाशकारी बाढ़, नदियों का सूखना, मार्ग बदलना-
भूमि के अत्यधिक दोहन, जैसे कारकों ने इस सभ्यता के पतन का मार्ग प्रशक्त किया,
किंतु यह कारण केवल कुछ विशेष नगरिया केंद्रों के विनाश की व्याख्या तो करते हैं परंतु पूरी सभ्यता के विनाश कि नहीं।
2 . सभ्यता के पतन का तार्किक कारण केंद्रीयकृत हड़प्पा राज्य का अंत होना प्रतीत होता है,
उत्तर हड़प्पा स्थलों से मुहरों का न मिलना, लिपि व विशिष्ट मनकों का अभाव,
माप तौल की एकीकृत प्रणाली का लोप व नगरों का पतन इसकी पुष्टि करते है।
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