लोकतंत्र और राजतंत्र में अंतर , लोकतंत्र और राजतंत्र में 5 अंतरलोकतंत्र और राजतंत्र में अंतर , लोकतंत्र और राजतंत्र में 5 अंतर

लोकतंत्र और राजतंत्र में अंतर :

प्रजातंत्र (लोकतंत्र) की परिभाषा :

लोकतंत्र और राजतंत्र में अंतर – लोकतंत्र democracy शब्द का हिंदी रूपांतरण है। जिसका निर्माण दो यूनानी शब्दों “डेमोस तथा क्रेशिया” से मिलकर हुआ है।
जिसमें demos का अर्थ जनता समूह था cracyia का अर्थ शासक होता है।

इस प्रकार लोकतंत्र का शाब्दिक अर्थ जनता के शासन अथवा “जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से या अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन व्यवस्था के संचालन से है”

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राजतंत्र की परिभाषा :

राजतंत्र में एक व्यक्ति विशेष का शासन होता है जिसे राजा, तानाशाह, आदि कहा जाता है ,राजतंत्र पद्धति में सदैव राजा का महत्व रहता है चाहे वह निर्वाचित राजा हो या पैतृक सिद्धांत पर बना राजा हो।

लोकतंत्र और राजतंत्र में पांच अंतर :

लोकतंत्र में शासक का चुनाव जनता करती है जबकि राजतंत्र में शासक का पद स्थिर होता है।

प्रजातंत्र में शासक के विरोध में जनता आवाज उठा सकती है जबकि राजतंत्र में राजा के खिलाफ आवाज उठाने की छूट नहीं है।

लोकतंत्र में लोग संगठित होकर कोई संगठन या दल बना सकते हैं लेकिन राजतंत्र में ऐसा नहीं हो सकता।

लोकतंत्र में सरकार का विधायिका के प्रति उत्तरदायित्व है जबकि राजतंत्र में ऐसा कुछ नहीं है।

प्रजातंत्र / लोकतंत्र में व्यापक चर्चा के बाद निर्णय लिया जाता है राजतंत्र में राजा स्वविवेक से निर्णय लेता है।

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लोकतंत्र व राजतंत्र की विशेषताएं –

लोकतंत्र की 5 विशेषताएं :

प्रजातंत्र में शासक जनता द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं और लोगों द्वारा चुने गए ये शासक ही अंतिम व महत्वपूर्ण निर्णय लेते हैं।

लोकतंत्र में चुनाव जनता को एक ऐसा अवसर उपलब्ध कराता है जहां वे निष्पक्ष मतदान द्वारा सरकार को चुन सकती है।

चुनाव द्वारा बनी सरकार संविधान द्वारा निर्धारित किए गए कानूनों और नागरिक अधिकारों के दायरे को मानते हुए कार्य करती है।

प्रजातंत्र/ लोकतंत्र में न्यायपालिका का स्थान सर्वोच्च होता है।

लोकतंत्र के चार स्तंभ होते हैं न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और मीडिया।

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राजतंत्र की 5 विशेषताएं :

राजतंत्र में राजा सर्वप्रिया होता है और उसका शासन स्थिर होता है।

तानाशाह / राजतंत्र में राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और सत्ता का खेल नहीं होता जिसके कारण समय नैतिकता होती है।

राजतंत्र में निर्णय शीघ्र लेने की प्रक्रिया होती है क्युकी राजा अकेले निर्णय करता है।

राजतंत्र में खर्चीली चुनावी प्रक्रिया नहीं है इसलिए इसमें भ्रष्टाचार कम होता है।

तानाशाह / राजतंत्र में बार-बार जनता को चुनावों का सामना नहीं करना होता।

लोकतंत्र व राजतंत्र के दुष्प्रभाव : लोकतंत्र और राजतंत्र में अंतर

लोकतंत्र के पांच दुष्प्रभाव :

प्रजातंत्र /लोकतंत्र का अर्थ सिर्फ राजनीतिक लड़ाई और सत्ता पर अधिकार स्थापित करना है इसमें नैतिकता नहीं होती है।

प्रजातंत्र / लोकतंत्र में सरकार बदलती रहती है इससे शासन में अस्थिरता उत्पन्न होती है।

लोकतंत्र में निर्णय लेने में देरी होती है जिसके कारण कुछ महत्वपूर्ण फैसले समय पर नहीं हो पाते हैं।

लोकतंत्र में कई बार त्रिकोणीय बहुमत के कारण सरकार नहीं बन पाती है जिससे अनिश्चितता उत्पन्न होती है।

प्रजातंत्र /लोकतंत्र में यदि एक दल को बहुमत से अधिक मत प्राप्त हो और विपक्ष कमजोर हो तो वह इसका दुरुपयोग करके मनमाने ढंग से कार्य कर सकता है।

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राजतंत्र के पांच दुष्प्रभाव : लोकतंत्र और राजतंत्र में अंतर

नागरिक के जीवन में सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं होती है।

लोगों को अपने विचारों को व्यक्त करने की स्वतंत्रता नहीं होती है सरकार यह शासक के विरुद्ध बोलने पर उन्हें तुरंत दंड दे दिया जाता है।

किसी भी विपक्षी पार्टी की बात को महत्व नहीं दिया जाता है साथ ही प्रजा की किसी भी इच्छा को मानना में मना करना राजा के विवेक पर निर्भर करता है।

न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं होती है और सर्वोच्च भी नहीं होती है।

राजतंत्र में संविधान या तो होता नहीं या उसके विशेष महत्व नहीं होता है क्योंकि राजा कभी भी किसी भी कानून को बदल सकता है।

लोकतंत्र और राजतंत्र में अंतर :

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