अशोक का शासन काल :
अशोक के अभिलेख – मौर्य साम्राज्य के सबसे शक्तिशाली एवं प्रभावी सम्राट अशोक को माना जाता है,
(ASHOK)अशोक मौर्य साम्राज्य के तीसरे सम्राट थे, अशोक ने 273 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व तक शासन किया था।
अशोक के पिता का नाम क्या था :
मौर्य साम्राज्य की स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने की थी उनके बाद शासन “बिन्दुसार” ने किया था
अशोक इन्ही “बिन्दुसार” के पुत्र थे, अशोक के पिता का नाम “बिन्दुसार” था।
अशोक के अभिलेख :
अभिलेख उन्हे कहते हैं जो पत्थर धातु या मिट्टी के बर्तन पर खुदे होते है।
सम्राट अशोक के अभिलेखों का भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है
इन अभिलेखों की सहायता से प्राचीन काल के गौरवशाली साम्राज्य के इतिहास का पता चलता है तथा साथ ही शासक के रूप में अशोक की उदांत विचारधारा का भी पता चलता है
अशोक के अभिलेखों की खोज किसने की थी :
सम्राट अशोक के अभिलेखों की खोज 1830 के दशक में एक ब्रिटिश पुरातत्वविद जेम्स प्रिसेप ने की थी
इन्होंने सर्वप्रथम इन अभिलेखों को पड़ा था और ब्राह्मी एवं खरोष्ठी दोनों लिपियों का अर्थ भी निकाला था
इसके परिणाम स्वरूप बीसवीं सदी के आरंभिक दशकों तक उपमहाद्वीप के राजनीतिक इतिहास का एक सामान्य चित्र तैयार हो सका।
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अशोक के अभिलेखों की भाषा क्या थी :
अशोक के अधिकांश अभिलेख प्राकृत एवं ब्राह्मी लिपि में लिखे थे,
पश्चिमोत्तर भाग में प्राप्त अभिलेख खरोष्ठी लिपि और अरमेइक एवं यूनानी भाषा में भी लिखे गए है
अशोक के अभिलेखों की विशेषता :
इन अभिलेखों में अशोक को प्रियदर्शी कहकर संबोधित किया गया है जिसका अर्थ मनोहर मुखाकृति वाला होता है।
अशोक के अधिकांश अभिलेख प्राकृत भाषा- ब्राह्मी लिपि में लिखे थे।
सम्राट अशोक ने देवताओं का प्रिय एवं प्रियदर्शी की उपाधि धारण की थी।
अशोक के अभिलेखों में उनके विचारों, कलिंग युद्ध, हृदय परिवर्तन एवं प्रशासनिक सुधारों का वर्णन मिलता है
अशोक के अभिलेखों का महत्व :
सम्राट अशोक पहले सम्राट थे जिन्होंने अपने अधिकारियों तथा जनता के लिए संदेश पत्थरों तथा पोलिस की गए स्तंभों पर लिखवाए थे।
सभी लेख के माध्यम से ही अशोक ने धर्म का प्रचार किया तथा इसके माध्यम से नैतिक आचरण का पाठ पढ़ाया।
अशोक के अभिलेख कितने देशों में पाए गए :
सम्राट अशोक के अभिलेख भारत, नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, श्री लंका में पाए गए है,
इन अभिलेखों की कुल संख्या 182 से भी अधिक है, जो 47 स्थानों पर प्राप्त हुए है।
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अशोक का धम्म / धर्म :
अशोक एक महान हिंदू सम्राट थे लेकिन कलिंग युद्ध के परिणाम स्वरुप अशोक ने बौद्ध धर्म को अपनाया था,
उनके अभिलेखों में बौद्ध धर्म को बड़ा उपहार देने, बौद्ध धर्म के तीर्थ स्थलों की यात्रा करने का उल्लेख मिलता है।
अशोक ने ही तीसरी बौद्ध संगीति का आयोजन किया था साथ ही दक्षिण भारत, श्रीलंका, म्यांमार और अन्य देशों में लोगों को बौद्ध धर्म में परिवर्तित करने के लिए अपने प्रचारक भेजे थे।
कलिंग युद्ध – सिंहासन पर विराजमान होने के बाद अशोक ने केवल एक विशाल युद्ध किया जिसे कलिंग (उड़ीसा) युद्ध कहा जाता है इस दौरान 100000 लोग मरे गए और लाखों तबाह हो गए 150000 लोगों को कैदी बना लिया गया
अशोक ने इस युद्ध में हुए नरसंहार से अत्यधिक आहत होकर साम्राज्य के विजय की नीति त्याग कर संस्कृतिक विजय की नीति अपनाई साथ ही इस युद्ध के बाद अशोक ने बौद्ध धर्म को भी अपनाया था।
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अशोक महान क्यों माना जाता है :
सम्राट अशोक को महान इसलिए माना जाता है क्योंकि उन्होंने अपने शासनकाल में कई ऐसे कार्य किए जिनसे वह बाकी राज्यों से खुद को अच्छा साबित करते हैं
प्राचीन भारतीय इतिहास में अशोक महान का विशेष स्थान है इनका साम्राज्य भारत, नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान तक फैला हुआ था
अशोक ने देश का राजनीतिक एकीकरण किया उन्होंने आगे चलकर इस एक धर्म, एक भाषा, एक लिपि ब्रह्मी से जोड़ दिया जिसका उपयोग उनके अधिकाशं अभिलेखों में भी किया गया है।
देश को एकजुट करने के लिए उन्होंने खरोष्ठी, अरमेइक, यूनानी जैसी भारत की बाहर की लिपियों का भी सम्मान किया।
अशोक ने एक सहिष्णु धार्मिक नीति का पालन किया, अपनी प्रजा पर अपने बौद्ध मत को जबरदस्ती थोपने का प्रयास नहीं किया,
इसके विपरीत उन्होंने गैर बौद्ध और बौद्ध विरोधी संप्रदायों को भी उपहार भेंट दिए।
अशोक महान क्यों था
सम्राट अशोक को शांति और आक्रमण न करने की नीति के लिए भी जाना जाता है
कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने आक्रमण की नीति का त्याग किया लाखों लोगों की मृत्यु देखकर वो आहत हुए थे
उन्होंने अपने उत्तराधिकारी से भी आक्रमण की नीति त्यागने को कहा
जिसकी वजह से देश हिंसा से दूर रहा और लाखों लोग मृत्यु से बच गए।
सम्राट अशोक की इन्ही नीतियों के कारण उन्हें अशोक महान कहा जाता है।
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