लोक अदालत क्या है Lok Adalat Kya hai
Lok Adalat Kya hai
लोक अदालत एक मंच है जहां वे मामले आते हैं जो न्यायालय के समक्ष अभी नहीं लाए गए हैं यहां लंबित पड़े हैं।
लोक अदालत न्याय व्यवस्था का एक पुराना स्वरूप है जो कि प्राचीन भारत में भी प्रचलित था,
इसकी उपयोगिता आधुनिक युग में भी समाप्त नहीं हुई है
सामान्य भाषा में लोक अदालत का अर्थ जनता की अदालत से है
26 नवंबर 1980 को एक प्रस्ताव द्वारा भारत सरकार ने मुख्य न्यायधीश श्री पीएन भगवती की अध्यक्षता में
“कानूनी सहायता योजना कार्यान्वयन” समिति की नियुक्ति की,
इस समिति द्वारा प्रस्तावित कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य के विभिन्न भागों में शिविर के रूप में लोक अदालतें लगाई जा रही है
प्रथम लोक अदालत शिविर 1982 में गुजरात में आयोजित किया गया था।
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लोक अदालत के कार्य व अधिकार
लोक अदालत केवल न्यायालय में लंबित मामलों को ही नहीं बल्कि उन मामलों का भी निपटारा कर सकती है
जो न्यायालय में अभी नहीं पहुंचे।
LOK ADALAT को वही शक्तियां प्राप्त होती है जोकि सिविल कोर्ट को कोड आफ सिविल प्रोसीजर के अंतर्गत प्राप्त होती है
लोक अदालत के फैसले के विरुद्ध किसी अदालत में कोई अपील नहीं की जाती है,
लोक अदालत में विवाह संबंधी, परिवारी विवाद , अपराधिक मामले, भूमि अधिकरण संबंधी मामले ,
श्रम विभाग कर्मचारी क्षतिपूर्ति के मामले ,
बैंक वसूली के मामले पेंशन मामले , आवास बोर्ड ,
उपभोक्ता शिकायत के मामले बिजली टेलीफोन संबंधी आदि मामले लाए जा सकते हैं
लोक अदालत के लाभ | Lok Adalat Kya hai
इसमें कोई अदालती फीस नहीं लगती है
अगर अदालती फीस का भुगतान कर दिया गया हो तो लोक अदालत में मामला निपटने के बाद राशि लौटा दी जाएगी
यहां सभी पक्ष अपने वकीलों के माध्यम से सीधे न्यायधीश से संवाद कर सकते हैं जो कि नियमित न्यायालय में संभव नहीं है
इस अदालत में कानून न्याय जल्दी से मिलता है जिससे व्यक्ति को बार-बार अदालतों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते
इन अदालतों में मुकदमों का निपटारा आपसी समझौते का आधार पर होता है,
लोगों को यह अनुभूति नहीं होती कि कोई पक्ष विजय या दूसरा पक्ष पराजित हुआ है।
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स्थाई लोक अदालत क्या है
कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 को 2012 में संशोधित करके सार्वजनिक उपयोगी सेवा से जुड़े मामले के लिए स्थाई लोक अदालतों का प्रावधान किया गया
स्थाई लोक अदालत पैसों के मामले में 1000000 तक के मामले सुलझा सकती है सरकार चाहे तो इसे बड़ा भी सकती है
लोक अदालत में उन मामलों में अधिकार नहीं रखती जो कानून के अंतर्गत सुलझा ने लायक नहीं है
स्थाई लोक अदालत में किसी विवाद को सुलझाने के लिए किए गए आवेदन के बाद आवेदन करने वाला कोई भी पक्ष की किसी दूसरी अदालत में नहीं जाएगा।
लोक अदालत में फैसले दोनों पक्षों की सहमति से ही आते हैं
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