समाजशास्त्र क्या है :
समाजशास्त्र क्या है – समाजशास्त्र मनुष्य के सामाजिक जीवन, समूहों और समाजों का अध्ययन करना है। एक सामाजिक प्राणी की तरह स्वयं हमारा व्यवहार इसकी विषय वस्तु है। यह एक ऐसा विषय है जिसके बारे मे लोगो को प्रारम्भ से ही कुछ कुछ जानकारी होती है,
समाज के बारे में कोई भी ज्ञान हो हमे स्वाभाविक या अपने – आप प्राप्त किया हुआ प्रतीत होता है,
क्योंकि यह हमारे विकास की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण भाग है।
समाजशास्त्र का निष्पक्ष वैज्ञानिक रूप :
मानव समाज के परिप्रेक्ष्य मे निष्पक्ष वैज्ञानिक सत्य की ओर बढ़ने का तात्पर्य है
कि हमे यह स्वीकार करना होगा कि सत्य एक नहीं है अनेक है प्रत्येक सत्य अपने – आप मे पूर्ण नहीं है।
सत्य की बहुलता ही समाजशास्त्र की एक प्रमुख समस्या है।
समाजशास्त्र क्या शिक्षा प्रदान करता है :
समाजशास्त्र हमे यह शिक्षा देता है की विश्व को न केवल स्वयं की अपितु दूसरो की दृष्टि से भी देखना चाहिए।
SOCIALOGY / समाजशास्त्र द्वारा यह ज्ञान प्राप्त होता है कि दूसरो का हमारे प्रति क्या दृष्टिकोण है अथवा हमारा स्वयं के प्रति क्या दृष्टिकोण है।
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सामाजिक संरचना क्या होती है :
भारतीय समाज और संरचना एक सामाजिक नक्शा प्रदान करता है, जिसमे आप अपने निवास (स्थान) का पता लगा सकते है।
सामाजिक नक्शे से यह पता लगाना उपयोगी हो सकता है कि समाज में दूसरे के संबंध में आपकी स्थिति क्या है ?
सामाजिक पहचान क्या होती है :
व्यक्ति किसी विशेष क्षेत्रीय या भाषाई समुदाय ( जैसे – गुजराती , तेलगु, बंगाली ) से जुड़े होते है तथा उनका व्यवसाय भी उससे निर्धारित हो सकता है,
व्यक्ति किसी विशेष धार्मिक समुदाय , जाति, जनजाति या किसी अन्य सामाजिक समूह के सदस्य होते है।
व्यक्तिगत पहचान क्या होती है :
INDIVIDUAL/व्यक्तिगत पहचान वह होती है जिसको व्यक्ति ने खुद बनाया होता है,
जिसमे उस व्यक्ति को उसके समाज/ जाति के आधार पर नही उसके कार्य / व्यवसाय आदि के आधार पर जाना जाता है।
व्यक्तिगत पहचान की समस्या :
इसमें मनुष्य गर्व , तनाव , अहंकार , आत्मविश्वास जैसी विभिन प्रकार की समस्याओं से जूझता है।
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सामाजिक परिघटना क्या है :
सामाजिक परिघटना एक तरह से समाज के लोगो का अलगाव है
बुजुर्ग और युवा पीढ़ियों के बीच आयु अंतराल की वजह से मनमुटाव एक सामाजिक परिघटना है,
जो समाज में समय के साथ सामान्य रूप से पाया जाता है।
सांप्रदायिकता और जातिवाद जैसी परिघटनाएं भी समाज में व्यापक रूप से पाई जाने वाली समस्याएं है,
जैसे – किसी जाति का व्यक्ति खुद को ऊंची जाति का और किसी अन्य जाति के व्यक्ति को निम्न जाति का मानता है।
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