होम रूल लीग आंदोलन Home Rule Leagueहोम रूल लीग आंदोलन कब हुआ और किसने किया। Home Rule League

होम रूल लीग आंदोलन कब हुआ :

होम रूल लीग आंदोलन – वर्ष 1916 में भारत में दो होम रूल लीग आंदोलनों की स्थापना हुई।
पहले की स्थापना लोकमान्य तिलक द्वारा की गई ,
दूसरे होम रूल लीग आयरिश महिला श्रीमती एनी बेसेंट और एस सुब्रमण्यम अय्यर के नेतृत्व में था।

श्रीमती एनी बेसेंट ने अपने दो पत्रों “कॉमन व्हील” एवं “न्यू इंडिया” और लोकमान्य तिलक ने अपने पत्रों “केसरी” और “मराठा” की सहायता से होमरूल लीग की स्थापना की मांग पर विशेष बल दिया।

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होम रूल लीग आंदोलन क्यों किया गया :

भारतीय नेताओं ने स्पष्ट रूप से समझा कि सरकार तब कुछ वास्तविक अधिकार देगी जब उसके ऊपर जनता का दबाव डाला जाएगा।

प्रथम विश्व युद्ध के कारण भारत के निर्धन वर्ग आर्थिक रूप से बदहाली और भयावह स्थिति में रह रहे थे।

प्रथम विश्व युद्ध में भारतीय राष्ट्रवादी नेताओं ने सरकार को सहयोग दिया और यह समझा कि ब्रिटेन भारत की वफादारी का पुरस्कार देगा और भारत स्वशासन की ओर बढ़ेगा,
लेकिन यह धारणा गलत निकली क्योंकि विभिन्न शक्तियां अपने उपनिवेशों को सुरक्षित रखने के लिए ही लड़ रही थी।

इसलिए स्वशासन पाने के लिए होम रूल लीग आंदोलन करने का फैसला लिया गया।

आंदोलन का महत्व :

इस आंदोलन के दौरान लोकमान्य तिलक ने अपना प्रसिद्ध नारा दिया था कि “होमरूल (स्वशासन) मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा” ।
आंदोलन का मुख्य उद्देश्य स्वशासन की मांग रही और धीरे-धीरे मांग पूरे देश में गूंजने लगी
कांग्रेस की निष्क्रियता से दुखी होकर अनेक नरमपंथी राष्ट्रवादी भी इसमें शामिल हो गए
इस आंदोलन में कुछ भी मौलिक तथा क्रांतिकारी बात नहीं थी।

होम रूल लीग आंदोलन कब और क्यों समाप्त हुआ :

आंदोलन 1917 में अपने शिखर पर पहुंच गया था उस वर्ष सरकार ने आंदोलन के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की, श्रीमती एनी बेसेंट को बंदी बना लिया उनकी मुक्ति के लिए बहुत आंदोलन हुआ ।
लोकमान्य तिलक ने निष्क्रिय संघर्ष आरंभ करने की धमकी दी भारत का संपूर्ण वातावरण उत्साह से भर उठा

किंतु इसी समय अगस्त 1917 में राज्य सचिव ने प्रसिद्ध घोषणा की “इस घोषणा द्वारा भारतीयों को उत्तरदाई सरकार देने का वचन दिया गया”
इसका परिणाम यह हुआ कि धीरे-धीरे आंदोलन कब पड़ गया और अगस्त 1917 में समाप्त हो गया।

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