दो सावन क्यों आए है | अतिरिक्त माह का कारण जानकर आप हैरान हो जाएंगेदो सावन क्यों आए है | अतिरिक्त माह का कारण जानकर आप हैरान हो जाएंगे

दो सावन क्यों आए है – दोस्तो इस बार सावन के माह एक नही दो बार आ रहा है

प्रत्येक 3 वर्ष में ऐसा होता है की एक अतिरिक्त मास आता है इस बार वो अतिरिक्त मास सावन माह के रूप में आया है

जो हम सभी के लिए बहुत ही हर्षोल्लास का की बात है क्योंकि सावन को भगवान शिव का प्रिय माह माना जाता है।

लेकिन क्या आप जानते है कि ये अतिरिक्त माह क्यों और कैसे आया है इसकी शुरुवात कैसे हुई ?

वैसे आपको बता दे इस अतिरिक्त माह को पुरुषोत्तम माह (महीना) भी कहते है।

दो सावन क्यों आए है :

प्रभु श्री हरि विष्णु ने हिरण्यकश्यप नाम के दैत्य के वध के लिए प्रभु ने 12 माह को 13 माह में परिणित करके एक अतिरिक्त माह बनाया,

जिसे मल माह या अधिक माह कहा जाने लगा।

यह अधिक मास प्रति 3 वर्ष में एक बार आता है।

इस वर्ष आज 18/7/23 से प्रारंभ होकर 16/8/23 तक यह अधिक मास रहेगा।

पुरुषोत्तम मास (माह/महीना) :

मलमाह के पुरुषोत्तम मास (माह/महीना) बनने की पौराणिक कथा क्या है ?

चूंकि हर मास के हर मास के लिए एक देवता निर्धारित हैं

परंतु इस अतिरिक्त मास का अधिपति बनने के लिए कोई भी देवता तैयार ना हुआ।

जब स्वामीविहीन होने के कारण अधिकमास को ‘मलमास‘ कहने से उसकी बड़ी निंदा होने लगी।

इस बात से मलमास बहुत दु:खी हो गया। तब ब्रह्मा जी ने अधिक मास को श्री हरि विष्णु जी के पास जाने के लिए कहा।

मलमास श्रीहरि विष्णु के पास गया और उनको अपनी व्यथा-कथा सुनाई। तब श्रीहरि विष्णु उसे लेकर गोलोक पहुचें।

गोलोक में भगवान श्रीकृष्ण को मलमास की व्यथा सुनकर उस पर बहुत करूणा आई और उसे वरदान दिया –

अब से मैं तुम्हे स्वीकार करता हूं।

इससे मेरे सभी दिव्य गुण तुम में समाविष्ट हो जाएंगे।

मैं पुरुषोत्तम के नाम से विख्यात हूं और मैं तुम्हें अपना यही नाम दे रहा हूं।

आज से तुम मलमास के बजाय पुरुषोत्तम मास के नाम से जाने जाओगे।

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अतिरिक्त माह का कारण :

इसीलिए प्रति तीसरे वर्ष में तुम्हारे आगमन पर जो व्यक्ति श्रद्धा-भक्ति के साथ कुछ अच्छे कार्य करेगा, उसे कई गुना पुण्य मिलेगा।

इस प्रकार भगवान ने अनुपयोगी हो चुके अधिकमास को धर्म और कर्म के लिए उपयोगी बना दिया।

अत: इस दुर्लभ पुरुषोत्तम मास में स्नान, पूजन, अनुष्ठान, सेवा एवं दान करने वाले को कई गुना पुण्य फल की प्राति होती है।

इस पुरुषोत्तम मास में व्यक्ति को किसी भी प्रकार की दुर्वृत्ति से बचना चाहिए।

जय जय श्री राधे श्याम 🙏

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