देवताओं की कहानी | क्यों हुआ अग्नि देव का वरदान विफलदेवताओं की कहानी | क्यों हुआ अग्नि देव का वरदान विफल

देवताओं की कहानी – पुराणों और धर्म ग्रंथो में आपको ऐसी अनेकों कहानियां मिल जाएंगी

जिन में बताया गया है कि लोग कठिन तपस्या करके देवताओं को प्रसन्न कर लिया करते थे और फिर उनसे वरदान मांग लिया करते थे।

इंसानों के साथ साथ राक्षस , गंधर्व , यक्ष , आदि सभी ऐसा करते थे।

बहुत सारे असुरों को तो ब्रह्मा जी से भी वरदान प्राप्त होता था लेकिन फिर भी एक समय ऐसा आता था की उनका वरदान विफल हो जाता था !

आखिर ऐसा क्यों होता था ?

देवताओं की कहानी

उसका कारण था की प्रत्येक वरदान के पीछे एक रहस्य छुपा हुआ होता था !

देवताओं ने किसी को भी बिना किसी शर्त के कोई वरदान नही दिया –

अगर दिया भी तो उसमे जो कमियां होती थी और उसके पालन के नियम पहले ही बता दिए गए थे।

आज हम ऐसे ही एक वरदान के बारे में आपको बताने जा रहे है

जिसे देवताओं ने दिया तो था लेकिन सही समय आने पर वो विफल हो गया।

आखिर क्यों हुआ वो वरदान विफल ?

क्या था उस वरदान के पीछे का रहस्य ?

क्या देवताओं का वरदान एक छलावा था ?

यह वरदान असुर राज हिरण्युकशिपु की बहन होलिका को अग्नि देव से प्राप्त हुआ था ।

होलिका ने कई महीनो की कठिन तपस्या के पश्चात अग्नि देव को प्रसन्न किया था,

अग्नि देव ने “होलिका को यह वरदान दिया था कि अग्नि कभी भी उनको कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगी”

लेकिन उसके बाद भी जब होलिका प्रहलाद को लेकर आग के कुंड में बैठी तो वो धू धू कर जल गई और उसकी दर्दनाक मौत हो गई।

क्यों हुआ अग्नि देव का वरदान विफल

दोस्तो आपको यह जानकर हैरानी होगी की जब होलिका अग्नि में जलकर मरी थी

तब देवराज इंद्र सहित सारे देवता उसके भाई हिरण्यकशिपु के वश में थे।

स्वर्ग लोक पर हिरण्यकशिपु का ही अधिकार था ( क्योंकि वह बहुत शक्तिशाली था और उसे ब्रह्मा जी का वरदान प्राप्त था )

जब हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका को अपने सामने तड़पकर जलकर मरते हुए देखा तो वो गुस्से में सीधा अग्नि देव के पास गया और जाके उनको भला बुरा कहने लगा।

उसने अग्नि देव से पूछा की जब तुमने मेरी बहन होलिका को ये वरदान दिया था की वो कभी भी अग्नि से नही जलेगी तो फिर आखिर अग्नि में जलकर उसकी मौत कैसे हुई ?

अग्नि देव ने हिरण्यकशिपु को बताया की जब उन्होंने होलिका को वरदान दिया था तभी यह भी बता दिया था कि “वह इस वरदान का प्रयोग किसी अस्त्र / शस्त्र के रूप में नहीं कर सकती है”

इसका मतलब था की वह इस वरदान का प्रयोग किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए नही कर सकती थी।

लेकिन होलिका यह बात भूल गई और प्रहलाद को मारने के मकसद से अग्नि कुंड में बैठी थी

जिसकी वजह से उसे मिला हुआ वरदान विफल हो गया और होलिका की मृत्यु हो गई।

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देवताओं की कहानी

अग्निदेव के इस वरदान को आप सही मानते है या गलत ?

क्या अग्नि देव को प्रत्येक दशा में होलिका को अग्नि से सुरक्षित रखने का वरदान देना चाहिए था ?
अपना उत्तर कॉमेंट में जरूर बताएं ॥

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