जल प्रदूषण क्या है | जल प्रदूषण पर निबंधजल प्रदूषण क्या है | जल प्रदूषण पर निबंध PHOTOS FROM GOOGLE

जल का महत्व :

(जल प्रदूषण क्या है) जल पृथ्वी पर मौजूद अमूल्य चीजों में से एक है जीवन की शुरुआत जल में ही हुई थी,

जीवन की कल्पना जल के बिना नहीं की जा सकती है।
जल केवल मनुष्य ही नहीं सभी जीव-जंतु पेड़-पौधे आदि के लिए एक जरूरी तत्व है।

जैसा कि आप जानते हैं पृथ्वी का धरातल तीन – चौथाई जल से ढका हुआ है

लेकिन यह तीन – चौथाई जल में अधिकांश जल लवणीय (खारा) है जो महासागरों में पाया जाता है जिसे प्रयोग में नहीं लाया जा सकता है।

इसमें से प्रयोग में लाने योग्य अलवणीय जल का अनुपात केवल 2.5 प्रतिशत है।
इसमें से भी अलवणीय जल का लगभग 70% भाग बर्फ के पहाड़ों के रूप में मौजूद है बाकी 30 प्रतिशत भूमिगत जल, नदी, तालाबों आदि में मिलता है।

इसलिए यह अति आवश्यक है की जल का सही उपयोग किया जाए और उसे साफ स्वच्छ रखा जाए।

जल प्रदूषण क्या है :

जल की भौतिक रसायनिक तथा जैविक विशेषताओं में परिवर्तन जिससे मानव तथा जलीय जीवन पर प्रतिकूल (गलत) प्रभाव पड़ता है जल प्रदूषण कहलाता है।

आसान शब्दों में “जल की प्राकृतिक अवस्था में कोई भी ऐसा परिवर्तन जो उसे प्रयोग (इस्तेमाल) करने वाले को नुकसान पहुंचाएगा जल प्रदूषण कहलाता है।

जल प्रदूषण के कारण :

जल प्रदूषण के लिए नगरीकरण , औद्योगिक, धार्मिक, रसायन, प्लास्टिक आदि कई कारण है

WATER जल प्रदूषण के प्रमुख कारण निम्नलिखित है –

1 . नगरीकरण – शहरों का गैर योजनाबद्ध विकास अपरिहार्य रूप से अधिक मात्रा में घरेलू , औद्योगिक अपशिष्ट गंदगी उत्पन्न करता है।

नगरों से निकलने वाले गंदे नाले मल मूत्र आदि को नदियों में बिना संशोधित किए डाल दिया जाता है जिससे नदियों का जल प्रदूषित होता है.

2 . औद्योगिक – कंपनियां अपशिष्ट ठोस पदार्थ कूड़ा इसके अलावा अतिरिक्त रसायन, डिटर्जेंट, गंदा जल, धातु मिश्रित रसायन आदि को नालियों और नदियों में बहा देती है जिससे जल प्रदूषित होता है।

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3 . धार्मिक तथा सांस्कृतिक रिवाज – धार्मिक रिवाजों के कारण नदियों में मनुष्य तथा जानवरों के शवों को बहा दिया जाता है

विशेषकर गंगा व यमुना का जल इससे प्रदूषित होता है।

4 . भौम जल का अतिरिक्त दोहन – भूमि के नीचे से निकलने वाला जल बहुत साफ होता है

लेकिन बहुत सारे लोग जरूरत से अधिक जल निकाल लेते हैं और फिर उसे नालियों में बहा देते हैं इससे भी जल प्रदूषण बढ़ता है।

5 . सिवरेज लाइन का अभाव – भारत की बड़ी आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है,

इस आबादी को सीवरेज सिस्टम से नहीं जोड़ा गया है, इसकी वजह से गांवों की मल मूत्र का गंदगी गांव के ही तालाब में डाल दी जाती है

यह तालाबों के जल प्रदूषण का एक महत्वपूर्ण कारण है।

6 . फसलों में कीटनाशक रसायन का उपयोग – फसलों के उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए व उनकी सुरक्षा के लिए अत्यधिक कीटनाशक रसायन का उपयोग किया जाता है

यह रसायन धीरे-धीरे रिस रिस कर जमीन के नीचे चला जाता है जिसकी वजह से भूमिगत जल प्रदूषित हो रहा है।

7 . प्लास्टिक व कचरा – प्लास्टिक एक बहुत बड़ी समस्या बन गया है

लोग पॉलिथीन में कूड़ा भरकर उसको नालियों तालाबों नदियों में डाल देते हैं जिसकी वजह से जल प्रदूषित होता है।

नोट : जल प्रदूषण विश्व के लिए गंभीर समस्या बन चुकी है लेकिन भारत के लिए तो यह अत्यंत गंभीर है

हालात यह है कि भारत का 70 प्रतिशत जल प्रदूषित हो चुका है।

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जल प्रदूषण का दुष्प्रभाव :

जल प्रदूषण का विपरीत प्रभाव भारत में लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है

प्रदूषित जल से अनेक बीमारियां फैलती है जैसे – हैजा, पेचिश, अतिसार, पीलिया तथा क्षय रोग आदि।

भारत में पेट से जुड़ी हुई बीमारियां अधिकांश प्रदूषित जल पीने की वजह से ही होती है,

इन बीमारियों से सबसे अधिक प्रभावित नगरिया गंदी बस्तियों तथा ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले बच्चे और गरीब लोग होते हैं।

जल प्रदूषण कैसे रोक :

1 . शहरो के अपशिष्ट पदार्थ घरेलू गंदगी मल मूत्र आदि को बिना संशोधित किए किसी भी नदी नाले में ना डाला जाए,

उसको पहले संशोधित किया जाएं उसके बाद उसका उपयोग छिड़काव, सिंचाई के लिए किया जा सकता है।

2 . कंपनियों के अपशिष्ट पदार्थ व रसायन मिश्रित जल धातु के कण आदि को नदियों में भूमि के अंदर भेजने से रोका जाए,

उसको संशोधित करके कहीं इस्तेमाल में लिया जा सकता है।

3 . सीवरेज सिस्टम अच्छा किया जाए गांवो और नगरों को उनसे जोड़ा जाए और जगह-जगह सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाए,

जिससे सीवर के पानी को संशोधित करके उपयोग में लाया जा सकता है।

4 . प्लास्टिक का कचरा नदियों में डालने से रोका जाए

प्लास्टिक पर नदियों के आसपास 10 किलोमीटर की परिधि में बेचने पर रोक लगाई जा सकती है.

5 . लोगों को जल प्रदूषण के प्रति जागरूक किया जाए,

उन्हें प्रत्येक तरह से जल को प्रदूषित करने वाले कारणों के बारे में विस्तार से बताया जाए

उस से होने वाली बीमारियों के बारे में बताया जा सकता है।

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6 . कक्षा 8 से बाद वाली सभी कक्षाओं में पर्यावरण प्रदूषण को नियमित रूप से पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सकता है।

7 . सरकार अभी जल प्रदूषण रोकने के जो प्रयास करती है वह नाम मात्र के होते हैं

इस क्षेत्र को पैसे की आवश्यकता है इसके अलावा जो भी कानून बनाए जाते हैं उनको सख्ती से लागू कराया जाए

कानून ने मानने वालों के ऊपर जुर्माना और दंड लगाया जाए।

विशेष : विश्व की बात करें तो संयुक्त राष्ट्र भी जल प्रदूषण को लेकर गंभीर है

उसने 1993 से प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को अंतरराष्ट्रीय जल दिवस के रुप में मनाया जाना शुरू किया है,

वर्तमान में वह 2.2 बिलियन लोगों को स्वस्थ जल उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है।

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