चाणक्य नीति स्त्री का चरित्र | चाणक्य नीति के अनुसार ऐसी स्त्री से दूर रहेचाणक्य नीति स्त्री का चरित्र | चाणक्य नीति के अनुसार ऐसी स्त्री से दूर रहे

चाणक्य नीति स्त्री का चरित्र –

चाणक्य बहुत बड़े विद्वान थे, चाणक्य को कोटिल्य के नाम से भी जानते है

उन्होंने आर्थिक और राजनीतिक जानकारी के अलावा जीवन से जुड़े हुए विभिन्न मुद्दों के विषय में भी अपनी राय अपनी चाणक्य नीति में लिखी है।

चाणक्य नीति में चाणक्य ने बताया है कि स्त्री का चरित्र और उसका स्वभाव कैसा होता है।

उन्होंने बताया है की किस प्रकार के स्वभाव वाली स्त्री मनुष्य के लिए उत्तम होती है।

चाणक्य नीति कहती है कि –

1 . दुष्ट स्त्री का भरण पोषण कभी नहीं करना चाहिए , ऐसा करने से विद्वान मनुष्य भी कष्ट भोगते है।

2 . चरित्रहीन स्त्री से सदैव दूर रहे अन्यथा वह बदनामी का कारण बन सकती है।

3 . कटु वचन बोलने वाली स्त्री की संगत से बचे वह मौत का कारण भी बन सकती है।

4 . ज्यादा भ्रमण करने वाली स्त्री को समाज में भ्रष्ट और दुष्टा मानी जाती है ।

चाणक्य कहते है कि नारी के लिए अनावश्यक भ्रमण उसे नरक की और ले जाने वाला होता है।

इसलिए ऐसी स्त्री से दूर रहे जो ज्यादा भ्रमण करती है।

5 . चाणक्य कहते है कि – गुणवती और सुशिक्षित स्त्री ही केवल घर में शोभायमान होती है।

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चाणक्य नीति स्त्री का चरित्र :

6 . आदर्श पत्नी के बारे में चाणक्य कहते है कि – जो स्त्री पवित्र , चतुर , समझदार हो, जो पतिव्रत धर्म का विधिवत पालन करे, जो केवल पति से ही प्रेम करें।

7 . जिसकी वाणी सदेव सत्य वचन बोले तथा असत्य का प्रित्याग करे।

केवल वही नारी मान सम्मान के योग्य था घर परिवार के लिए उपयुक्त कही गई है।

8 . स्त्रियों के लिए उनके पति ही परम पूजनीय देवता और गुरु है।

9 . वृद्धा अवस्था में चाणक्य ने पत्नी को सच्चा साथी बताया है उसके अभाव में व्यक्ति पूरी तरह असहाय हो जाता है।

10 . चाणक्य ने स्त्रियों की चंचल प्रवृत्ति का वर्णन किया है वे कहते है की स्त्रियों का स्वभाव चलायमान होता है।

वे बातचीत किसी से करती है , लेकिन विलासपूर्वक किसी और का दर्शन करती है।

उनके मस्तिष्क में किसी का चिंतन चलता रहता है और मन में किसी और की कामना करती है।

11 . चाणक्य यह भी कहते है कि पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों दोगुना भोजन करती है , लज्जा उनमें पुरुष से चार गुना होती है , साहस छः गुना होता है तथा कामवासना की भावना आठ गुना अधिक होती है।

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