Promoter holding in hindi :
Promoter holding in hindi इसको देख कर हमें ये पता चलता है कि Company के जो मालिक है उनकी खुद की हिस्सेदारी कंपनी में कितनी है।
ज्यादा Promoter holding से यह पता चलता है कि मालिक को खुद की Company पर कितना भरोसा है।
प्रोमोटर्स होल्डिंग देखते समय हमें इस बात पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए
कि Promoters के शेयर कही Bank या किसी संस्था के पास गिरवी (Pledge) तो नहीं रखे हुए है।
सामान्य तौर पर Promoter holding 40 % या उससे अधिक होनी चाहिए।
कुछ अपवाद स्वरूप कंपनियां भी होती है, जैसे – कोई ऐसी कंपनी जिसको कई सारी कंपनियां मिलकर चला रही होती है।
इनको प्रोफेसनल मैनेजमेंट कंपनी कहते है।
बैंकों के मामले में Promoter holding कम भी ही सकती है उसके नियम Reserve Bank of India के अनुसार बदलते रहते है।
हमें ये भी ध्यान रखना है की सरकार किसी खास सेक्टर या सभी सेक्टर्स के लिए Promoter holding को अधिकतम कितनी सीमा रखे हुए है।
प्रोमोटर्स होल्डिंग कम या ज्यादा देखते समय हमें उनकी हिस्सेदारी के Trend को भी देखना चाहिए।
हमें पिछले सालो के रिकॉर्ड से तुलना करके ये भी देखना चाहिए कि की हिस्सेदारी का रुझान बढ़ रहा है या घट रहा है।
Promoter अगर अपनी कंपनी में हिस्सेदारी बढ़ा रहे है तो यह अच्छी बात हो सकती है।
Promoter holding in hindi
प्रोमोटर्स शेयर होल्डिंग के अलावा हम बाकी शेयर होल्डर्स की हिस्सेदारी को देखकर भी एक अनुमान लगा सकते है।
जैसे – DII ( DOMESTIC INVESTMENT INSTITUTE ) ,
FII ( FOREIGN INVESTMENT INSTITUTE )
DOMESTIC INVESTMENT INSTITUTE : इसमें mutual fund और insurance जैसी संस्थाओं को कहा जाता है।
किसी कंपनी में इनका अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना अच्छा संकेत माना जाता है।
FOREIGN INVESTMENT INSTITUTE : इसमें विदेशी संस्थाओं की हिस्सेदारी कंपनी में कितनी है यह दिखाई जाती है।
ये सभी संस्थाएं अच्छे रिसर्च के साथ निवेश करती है।
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FACE VALUE IN HINDI :
ये वो price/ राशि है जो शेयर की शुरुआती कीमत थी, इसका वर्तमान कीमत से कोई लेना देना नहीं है।
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DIVIDEND IN HINDI :
किसी कंपनी ने साल भर में जो मुनाफा / लाभ कमाया है , उसका कुछ हिस्सा जब शेयर धारकों में वितरित (बांटा) जाता है तो वहीं राशि dividend कहलाता है।
Dividend देना या नहीं देना यह सब कंपनी के पॉलिसी के अंतर्गत शामिल होता है। कंपनी के Board members यह निर्णय लेते है।
ऐसी कंपनियां जिनके सेक्टर में अब ग्रोथ कि संभावना कम हो गई है और कंपनी के पास नकद के रूप में ज्यादा धनराशि होती है वह dividend देती है।
अधिकतर बड़ी कंपनियां dividend ज्यादा देती है, अगर कोई कंपनी नकद धन भंडार होने के बाद भी dividend नहीं देती है तो यह कोई बुरी बात नहीं है,
यह एक अच्छी बात है इसका मतलब है कि कंपनी को अभी ग्रोथ के लिए पैसा चाहिए या फिर
वह उस पैसे को कहीं अच्छी जगह invest करने कि योजना बना रही हो सकती है।
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