देवता कौन होते है :
देवता कौन होते है – देवताओं के बारे में जानने के लिए सभी लोग उत्सुक होते है,
कुछ लोग उनकी शक्तियों के बारे में जानना चाहते हैं , वहीं कुछ लोग उनसे दैवीय शक्तियां प्राप्त करने का सपना देखते है।
देवता वो होते है जिन्होंने इंसानों को बनाया है और जो इस पृथ्वी को नियमित रूप से चलाने में सहायता करते है
भगवान ने देवताओं को ऐसी शक्तियां दी है जिससे वो पृथ्वी पर मौजूद तत्वों की कमी को पूरा कर सके।
भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद् भगवत गीता में देवताओं का उल्लेख करते हुए अर्जुन से कहा है कि “अर्जुन अगर तुम किसी पदार्थ को इच्छा रखते हो तो उस पदार्थ के देवता को प्रसन्न करके वह पदार्थ प्राप्त कर सकते हो”
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देवता का अर्थ :
देवता उसे कहते हैं जिसके पास पवित्र शक्तियां होती है
हिंदुओं के पवित्र धार्मिक ग्रंथों के अनुसार देवताओं का जन्म भगवान विष्णु के शरीर से हुआ है
हिंदू धार्मिक ग्रंथों में 33 उच्च कोटि के देवताओं का वर्णन मिलता है
प्रत्येक देवता के पास किसी एक पदार्थ को नियमित करने की शक्ति होती है जैसे अग्नि, जल, वायु आदि।
देवताओं के पास और भी अन्य कई शक्तियां होती है जिनसे वह अन्य जीवो का कल्याण करते हैं।
देवताओं होने के लिए सबसे पहला और जरूरी गुण है जीवों के कल्याण के लिए कार्य करना
शक्तियां तो असुरों के पास भी होती है लेकिन असुर उसका उपयोग दूसरों को नुकसान पहुंचाने के लिए ही करते आए हैं।
क्या देवता एलियंस थे :
देवता कौन होते है –
इसको समझने के लिए पहले हम एलियंस की परिभाषा समझ लेते है,
एलियंस – जो जीव जो पृथ्वी के अलावा अन्य किसी भी ग्रह, तारे, ब्रह्मांड , में जन्मे है उन्हे एलियंस कहा जाता है।
कुछ वैज्ञानिकों की माने तो उनका मानना है कि देवता एलियंस थे, जो बहुत ही उन्नत सभ्यता के थे
वो अलग अलग जगह पृथ्वी पर आए थे और उनमें से कुछ ने तो पृथ्वी पर कई साल बिताए थे और फिर वो वापिस अपने गृह पर चले गए
इसलिए अब वो यहां दिखाई नही देते।
लेकिन धार्मिक मान्यताओं, ग्रंथो और उन पर विश्वास करने वाले लोग देवताओं को एलियंस नही मानते है,
हम भी देवताओं को एलियंस नही मानते है
भागवत पुराण में देवताओं का जन्म प्रभु श्री हरि के शरीर से हुआ बताया जाता है
तो जब वो किसी ग्रह पर जन्मे ही नही तो एलियंस कैसे हो सकते है ?
देवता स्वर्ग लोक में रहते है स्वर्ग लोक पृथ्वी से बाहर है और बहुत दूर है लेकिन इसका मतलब ये नही की हम देवताओं को एलियंस मान ले,
एलियन तो किसी दूसरे लोक पर रहने वाले किसी भी जीव को कह सकते है तो क्या हम देवताओं की तुलना ऐसे ही किसी जीव से कर सकते है ?
क्या हम उनको जिन्होंने हमे बनाया और जिनके पास इतनी शक्तियां है की वो मनुष्य की रचना कर सकते है उनको किसी भी अन्य जीव की श्रेणी में रख सकते हैं ?
मेरे हिसाब से “नही” इसलिए हम उनको देवता कहते है।
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क्या देवता अमर है :
भगवान श्री कृष्ण जब अर्जुन को गीता ज्ञान दे रहे थे
तब अर्जुन के प्रश्न पूछने पर बताया था की “इस भौतिक जगत में सब कुछ नश्वर है कुछ भी ऐसा नही है जो नष्ट नही होगा”
भगवान श्री कृष्ण ने कहा है ब्रह्मा जी की भी एक आयु है।
श्री कृष्ण ने कहा कि चार युग सतयुग , त्रेता , द्वापर, कलयुग जब समाप्त होते है तो ब्रह्मा जी का एक दिन बनता है और ऐसे ही उनकी रात्रि भी होती है
ऐसे करते करते जब 100 दिव्य वर्ष पूरे हो जाते है तो ब्रह्मा जी की आयु भी पूरी हो जाती है।
ब्रह्मा जी की आयु पूरी होने के बाद ये ब्रह्मांड नष्ट हो जाता है और सब कुछ मेरे अंदर वापिस समाहित हो जाता है
उसके बाद मैं पुनः ब्रह्मा जी की रचना करता हु और वो सृष्टि की रचना करते है और यही क्रम निरंतर चलता रहता है।
इससे हमे ये जानकारी मिलती है की ब्रह्मा जी की भी एक निश्चित आयु है जो अरबों खरबों में है।
बाकी देवताओं की भी एक निश्चित आयु होगी, लेकिन इंसानों के मुकाबले तो हजार गुना ज्यादा ही होगी।
आयु पूरी होने के बाद वो स्थान किसी दूसरी पवित्र आत्मा को भी दिया जा सकता है।
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देवता कहा है :
देवता कौन होते है –
हिंदू धर्म में चार युग बताए गए हैं सतयुग त्रेता युग द्वापर युग और कलियुग
सतयुग में तो देवता पृथ्वी पर निरंतर आया करते थे ऐसा कहा जाता है,
त्रेता और द्वापर युग में भी पृथ्वी पवित्र थी और प्रार्थना करने पर देवता जल्दी प्रसन्न हो जाते थे
द्वापर युग के अंत में भगवान श्री कृष्ण के पृथ्वी को छोड़कर जाने के बाद ही कलियुग का प्रवेश शुरू हुआ था।
कलियुग इन चारों युगों में सबसे खराब कहा जाता है
पांडवों के पौत्र महाराज परीक्षित ने कलियुग को पृथ्वी पर रहने की अनुमति दी
कलियुग के आते ही धीरे-धीरे सभी वस्तुओं का सार चला गया
जो स्वर्ग के देवता पृथ्वी पर थे उनकी शक्तियां कमजोर होने लगी और वह भी पृथ्वी से चले गए
कलियुग की वजह से ही पृथ्वी पर अधर्म , हिंसा , और बुरे कर्म बढ़ते चले जा रहे है।
इसलिए देवताओं ने पृथ्वी पर आना बंद कर दिया
कलियुग ने सभी को श्री हीन कर दिया है अब देवता अपने स्वर्ग लोक में ही रहते हैं।
देवता प्रसन्न करने का मंत्र :
प्रत्येक देवता को प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग मंत्र का उपयोग किया जाता है
नए मंत्र भी बनाए जा सकते हैं
यदि आप कोई मंत्र बनाकर किसी देवता का याद करते हैं तो वह मंत्र धीरे-धीरे सिद्ध हो जाता है
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए – ॐ नमः शिवाय का जप निरंतर 108 बार करे।
भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए – ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करे
श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए – हरे कृष्णा हरे राम मंत्र का जाप करते रहे।
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